Tuesday, 26 February 2013
Sunday, 24 February 2013
Saturday, 23 February 2013
साक्षात श्रीजी के स्वरूप हैं जो आचार्य, उनके दिव्य और दुर्लभ दर्शन कराते यह चित्र !
श्री ‘‘श्रीजी‘‘ महाराज

ऐसी आपकी विद्वत्ता एवं श्रीसर्वेश्वर प्रभु में असीम भक्ति को देखते हुये अल्प वय में ही आपकी प्रसिद्धि निम्बार्क जगत में ही नही, अपितु सम्पूर्ण भारत वर्ष के धार्मिक क्षेत्रों एवं विद्वज्जनों के बीच होने लगी थी। इसका प्रत्यक्षत: उदाहरण वि0 सं0 2001 श्रावण मास में कुरुक्षेत्र में देखने को मिला। जहाँ सूर्यसहस्त्ररश्मि महायज्ञ के अवसर पर आयोजित सनातन धर्म सम्मेलन की मात्र 15 वर्ष की आयु में आपने एक दिन की अध्यक्षता की थी। जबकि इस सम्मेलन में जगद्गुरु श्रीशंकराचार्य जी, श्रीवैष्णवाचार्य जी एवं अन्य कई सन्त महन्त उपस्थित थे। इसी सम्मेलन के अवसर पर जगद्गुरु शंकराचार्य श्रीभारतीकृष्ण तीर्थ जी महाराज गोवर्धन पीठ (पुरी) ने वैष्णव धर्म को भविष्य में आपके हाथों में सुरक्षित देखते हुये एक धर्म सम्मेलन श्रीनिम्बार्क तीर्थ में आयोजित करने की इच्छा व्यक्त की। 

श्रीजी विशेषण :-
आचार्य पीठ के आचार्यों को ’’श्रीजी’’ महाराज के नाम से सम्बोधित किया जाता है। आचार्य पीठ के आचार्यों को ’’श्रीजी’’ महाराज उच्चारित करने की परम्परा निम्बार्काचार्य श्री गोविन्दशरण देवाचार्य जी के समय मे प्रचलित हुई थी, क्योंकि एक बार जब आप श्री की पधरावणी जयपुर महाराजा के यहाँ हुई थी। तब एक दिन आचार्य श्री सदुपदेश के लिये रनिवास में विराज रहे थे। उस समय महल में केवल रानियाँ एवं दासियाँ थी। वहाँ पर आचार्य श्री के अतिरिक्त अन्य कोई भी पुरुष नहीं था। उसी समय किसी विरोधी ने जयपुर महाराजा के कान भरते हुये कहा ’’महाराज रनिवास में आचार्य श्री के अतिरिक्त अन्य कोई भी पुरुष नहीं है। वहाँ पर केवल रानियाँ एवं दासियाँ ही है।’’ परिणाम स्वरूप जब सशंकित महाराजा ने महल में जाकर देखा तो वे आश्चर्य चकित रह गये। वहाँ महाराजा ने स्वयं अपनी आँखों से देखा कि आचार्य श्री राधिकाजी (श्रीजी) स्वरूप में विराज रहें है। यह देखकर जयपुर महाराजा अपने आप बहुत लज्जित हुये और आचार्य श्री को समस्त बात बताते हुये क्षमा याचना करने लगे। आचार्य श्री ने महाराज को क्षमा करते प्रभु भक्ति प्राप्त होने का आशीर्वाद प्रदान किया। उपरोक्त घटना के पश्चात इस पीठ के आचार्य गणों को सम्माननीय ’’श्रीजी विशेषण’’ से सम्बोधित किया जाने लगा।

Friday, 22 February 2013
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